दुनिया के सबसे बदबूदार फल के लिए चीन में मची 'सनक' : वजह जानकर रह जाएंगे हैरान!

Demand for world's stinkiest fruit durian increased by 400% in China
Demand for world's stinkiest fruit durian increased by 400% in China

कुछ लोग कहते हैं कि यह चिपचिपा और मीठा होता है, कुछ का कहना है कि इसमें मोजे़ जैसी गंध आती है. इन बातों के चलते आप चाहे इसे पसंद करें या नापसंद, पर ड्यूरियन फल की मांग काफी दुनिया भर और खासकर चीन में तेजी से बढ़ रही है. कई लोगों का मानना है कि यह फल यौन शक्ति में जबर्दस्‍त इजाफा करता है. इसलिए आजकर इसे शादी के तोहफे में देने का रिवाज चल पड़ा है.

एचएसबीसी के अनुसार इस अजीबोगरीब फल की वैश्विक मांग साल-दर-साल 400% बढ़ गई है, चीन के लोगों में इस फल के लिए "सनक" (क्रेज) से इसे काफी हद तक बढ़ावा मिला है.

बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है, "वैश्विक रुझानों को पलटते हुए, ड्यूरियन की मांग में सालाना आधार पर 400% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसका मुख्‍य कारण चीन में इसका क्रेज है."


एचएसबीसी के आसियान क्षेत्र के अर्थशास्त्री एरिस डेकाने ने रिपोर्ट में कहा कि पिछले दो वर्षों में चीन ने 6 अरब डॉलर मूल्य के ड्यूरियन का आयात किया, जो पूरी दुनिया में इसकी मांग का 91% है.


"ड्यूरियन बूम" मुख्य रूप से चीन में केंद्रित है, जहां लोग इसे केवल एक फल नहीं, बल्कि एक बेहतरीन उपहार के रूप में भी देखते हैं, जो देने वाले की अमीरी को दर्शाता है. इसके चलते चीन में सगाई पर दोस्तों और रिश्तेदारों को पारंपरिक उपहार के रूप में ड्यूरियन को शामिल करना आम होता जा रहा है. 


एचएसबीसी के आंकड़ों के मुताबिक चीन में ड्यूरियन की मांग में तेजी 2017 की शुरुआत में आनाशुरू हुई थी, पर मांग में तगड़ा उछाल  2022 के अंत में देखने को मिला. 


खास बातें

  • एचएसबीसी बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में  ड्यूरियन फल की मांग चीन की वजह से बढ़ रही है


  • पिछले दो वर्षों में चीन ने 6 अरब डॉलर के ड्यूरियन का आयात किया, जो ग्‍लोबल मांग का 91% है


  • 10 देशों वाले दक्षिण-पूर्व एशियाई गुट आसियान में कुल ड्यूरियन निर्यात का 99% अकेले थाईलैंड से होता है


ये देश हैं ड्यूरियन सबसे बड़े निर्यातक

चीन में  "फलों का राजा" बन चुका ड्यूरियन 10 डॉलर प्रति किलो से अधिक दाम पर बिकता है. दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में यह औसतन लगभग 6 डॉलर प्रति किलो बिकता है. इसके मुख्य आपूर्तिकर्ता आसियान में है, जिसकी 2022 में दुनिया के कुल ड्यूरियन निर्यात का 90% हिस्‍सेदारी थी. इनमें ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम सहित 10 देशों के दक्षिण-पूर्व एशियाई देश आते हैं. इनमें से अकेले थाईलैंड ही ड्यूरियन निर्यात का 99% करता है.


रबर को टक्‍कर दे रहा है ड्यूरियन

अर्थशास्त्री का कहना है कि शायद किसी दिन अपनी भावी सास को तोहफे में ड्यूरियन देना एक वैश्विक रिवाज़ बन जाए. बहरहाल, ये तो केवल आने वाला समय ही बताएगा. उन्‍होंने कहा कि ड्यूरियन की मांग में वृद्धि थाईलैंड ही नहीं, बल्कि शेष दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भी कारोबार का एक नया अवसर लेकर आई है. अकेले चीन में ही इसका बाजार इतना बड़ा है कि अन्य आसियान देशों के लिए सीधे इसमें कूदने और प्रतिस्पर्धा करने के लिए पर्याप्त जगह है. वहां तो एक प्रकार की ''ड्यूरियन रश'' देखने को मिल रहा है.


थाईलैंड का दबदबा खत्‍म करने की मचेगी होड़

रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी के लिए किया गया मुक्त व्यापार समझौता, जिसमें चीन, दक्षिण कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के अलावा पूरा आसियान समूह शामिल है, प्रतिभागियों को चीन के बाजार में खुली और समान पहुंच की अनुमति देता है. डेकाने ने कहा, "अवसर की खिड़की खुली है. ड्यूरियन का बाजार अभी भी बढ़ रहा है, क्योंकि आसियान की अन्य अर्थव्यवस्थाएं 'फलों के राजा' पर थाईलैंड के प्रभुत्व के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने के लिए उत्सुकता से दौड़ लगा रही हैं."


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