मार्जिनल रिलीफ यानी सीमांत राहत उन रेजिडेंट इंडिविजुअल्स (निवासी व्यक्तियों) के लिए उपलब्ध है, जिनकी सालाना आय 12 लाख रुपये से अधिक है, लेकिन 12.75 लाख रुपये के दायरे में है. यदि किसी इनकम टैक्स पेयर की सालाना आय 12.75 लाख रुपये से अधिक है, तो उसपर मार्जिनल रिलीफ लागू नहीं होगी और उसे निर्धारित टैक्स रेट के हिसाब से ही अपना इनकम टैक्स भरना होगा.
बजट 2025 ने इनकम टैक्स एक्जंप्शन के थ्रेशहोल्ड यानी आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया है, जिससे इस राशि तक की आय अब प्रभावी रूप से कर-मुक्त हो गई है. सैलरीड कर्मचारियों के लिए 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन ( मानक कटौती) को मिला कर देखा जाए, तो उनके लिए यह सीमा बढ़कर 12.75 लाख रुपये हो जाती है.
इसलिए, सैलरीड व्यक्ति स्टैंडर्ड डिडक्शन के कारण मार्जिनल रिलीफ से सीधे तौर पर लाभान्वित होते हैं, जबकि 12 लाख रुपये से थोड़ा अधिक कमाने वाले नॉन-सैलरीड इंडिविजुअल टैक्स पेयर्स भी मार्जिनल रिलीफ के तहत मिलने वाली टैक्स छूट से लाभान्वित होते हैं.
मार्जिनल रिलीफ का प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि 12 लाख रुपये से थोड़ी सी अधिक आय वाले इनकम टैक्स पेयर्स पर अनुपातहीन रूप से यानी डिस्प्रपोशनेटली इनकम टैक्स की ऊंची दरों का बोझ न पड़ने पाए. उदाहरण के लिए, यदि कोई नॉन-सैलरीड इंडिविजुअल 12.1 लाख रुपये कमाता है, तो उसे सामान्य टैक्स स्लैब के तहत आमतौर पर 61,500 रुपये इनकम टैक्स के रूप में भरने होंगे. वहीं, मार्जिनल रिलीफ के साथ उसकी टैक्स लायबिलिटी 50 हजार रुपये से भी ज्यादा घटकर केवल 10,000 रुपये रह जाती है. इस तरह मार्जिनल रिलीफ से यह सुनिश्चित होता है कि इनकम टैक्स का बोझ 12 लाख रुपये की सीमा से थोड़ी ऊपर की आय पर भी एक तर्कसंगत अनुपात में हो.
मार्जिनल रिलीफ के लिए पात्रता
मार्जिनल रिलीफ उन रेजिडेंट इंडिविजुअल्स को उपलब्ध है जिनकी आय 12 लाख रुपये से अधिक है, लेकिन 12.75 लाख रुपये से अधिक नहीं है. मतलब, यदि किसी करदाता की आय 12.75 लाख रुपये से अधिक है, तो उसके लिए मार्जिनल रिलीफ लागू नहीं होगी और उसे निर्धारित टैक्स रेट के हिसाब से ही इनकम टैक्स भरना होगा.
बजट 2025 में प्रस्तावित इनकम टैक्स की दरें इस प्रकार हैं :

(नोट: इस टेबल में दिखाई गई इनकम टैक्स की दरें अप्रैल 2025 से लागू होंगी)
रिबेट बनाम मार्जिनल रिलीफ
टैक्स रिबेट यानी कर छूट उन लोगों के लिए उपलब्ध है, जो 12 लाख रुपये या उससे कम कमाते हैं, जो न्यू टैक्स रिजीम के तहत फुल टैक्स एक्जंप्शन के पात्र हैं.
दूसरी ओर 12 लाख रुपये से थोड़ा ज्यादा कमाने वाले व्यक्तियों के लिए मार्जिनल रिलीफ उपलब्ध है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि टैक्स का बोझ 12 लाख रुपये से थोड़ी ज्यादा आय वाले लोगों पर बहुत भारी न पड़े.
सरकार के अनुमान के मुताबिक इन बदलावों के चलते टैक्स पेयर्स की करीब एक लाख करोड़ रुपये की टैक्स सेविंग होने की उम्मीद है.
सरकार ने कहा कि इससे लोगों की डिस्पोजेबल इनकम यानी खर्च करने योग्य आमदनी बढ़ेगी और टैक्स पेयर्स के हाथों में पैसे बचने से उनकी फाइनेंशियल फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ जाएगी.
What is marginal relief under new tax regime, how it works after Budget 2025
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