Electoral Bond के बारे में जानकारी देने में आनाकानी करने पर सरकारी बैंक SBI को सुप्रीम कोर्ट में लगी तगड़ी लताड़ के बाद अब मोदी सरकार चुनावी चंदे में भ्रष्टाचार के मुद्दे से देश का ध्यान भटकाने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करने जा रही है।
राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसबीआई को कल तक हर हाल में चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के बाद अब मोदी सरकार को डर सता रहा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चुनावी चंदे की जानकारी सार्वजनिक होने से ईडी और सीबीआई का भय दिखा कर कंपनियों से भाजपा को दिलाए गए सैकड़ों करोड़ रुपये के चंदे की पोल खुलने से चुनाव में उसकी भद्द पिट जाएगी।
इसी से बचने के लिए मोदी सरकार आनन-फानन में CAA को लागू करने जा रही है, ताकि चंदे के इस गोरखधंधे पर चर्चा के बजाय लोग CAA पर चर्चा करने लगें। इसे वोटों के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके थोक में वोट हथियाने की भाजपा की राजनीति से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।
जानकारी सामने आई है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर देश में सीएए लागू होगा और आज रात तक केंद्रीय गृह मंत्रालय इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी कर सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीते दिनों कहा था कि सीएए को लागू करने के लिए नियमों की घोषणा लोकसभा चुनाव से पहले की जाएगी।
शाह ने 27 दिसंबर को कहा कि कोई भी सीएए के क्रियान्वयन को नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। कोलकाता में भाजपा की सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि सीएए लागू करना पार्टी की प्रतिबद्धता है।
मालूम हो कि संशोधित नागरिकता अधिनियम-2019 (सीएए) को लेकर राजनीति लंबे समय से गरमाई हुई है। कांग्रेस के सीनियर नेता पवन खेड़ा ने हाल ही में कहा था कि अगर लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी सत्ता में आई तो वह CAA को रद्द कर देगी।
उन्होंने कहा, ‘असम में बाहर से आए लोगों के वैध तरीके से निवास की अंतिम तारीख 1971 है, लेकिन सीएए इसे हटा देगा क्योंकि उसमें अंतिम तारीख 2014 होगी।’ कांग्रेस नेता असम समझौते के अनुसार, बांग्लादेश से असम में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने के लिए 25 मार्च, 1971 की अंतिम तारीख का जिक्र कर रहे थे।
दरअसल, जानकारी सामने आई है के तहत केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को या इससे पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय) को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया है।
इसे एक पक्षपात पूर्ण कानून माना जा रहा है, क्योंकि इसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिमों को तो नागरिता नागरिकता देने का प्रावधान किया है, पर नेपाल, म्यामार, भूटान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों को छोड़ दिया गया है, जबकि म्यामार और श्रीलंका में हिन्दू अल्पसंख्यकों को प्रताडि़त किए जाने के मामले बड़ी संख्या में सामने आ चुके हैं।

0 टिप्पणियाँ
आपकी टिप्पणियों, प्रतिक्रियाओं व सुझावों का स्वागत है, पर भाषा की गरिमा और शब्दों की मर्यादा अवश्य बनाए रखें.