कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष व रायबरेली से लोकसभा सांसद इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। आज राजस्थान से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल करके उन्होंने इस बात को एक तरह से स्पष्ट कर दिया है।
सोनिया के इस कदम को भाजपा के खिलाफ एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक और नरेंद्र मोदी और उनके रणनीतिकार माने जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह को दिया गया एक शातिर दांव माना जा रहा है।
सियासत के अंदरखाने में यह चर्चा थी कि पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी से अमेठी सीट छीनने के बाद इस बार भाजपा रायबरेली में सोनिया गांधी को घेरने की पूरी तैयारी में थी। पर सोनिया ने राज्यसभा की राह पकड़ उनकी इस योजना पर पानी फेर दिया है।
बताया जा रहा है कि जिस तरह 2019 के पिछले संसदीय चुनाव में अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ स्मृति ईरानी को मैदान में उतार कर और तगड़े बूथ मैनेजमेंट के जरिये भाजपा ने कांग्रेस का गढ़ समझी जाने वाली अमेठी सीट पर कब्जा जमाया, था उसी तरह 2024 के लोकसभा चुनाव में सोनिया के खिलाफ किसी बड़े कद्दावर नेता को खड़ा कर उनकी सीटी भी 'येन केन प्रकारेण' हथियाने की पूरी योजना थी, जिसपर सोनिया के मास्टर स्ट्रोक ने पानी फेर दिया है।
बताया यह भी जा रहा है कि भाजपा के 'चाणक्य' कहे जाने वाले अमित शाह सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़ाने के लिए कांग्रेस के ही किसी कद्दावर नेता को तोड़कर प्रत्याशी बनाने की फिराक में थे। यानी भाजपा इस बार सोनिया को खुद उनके ही मोहरे से मात दिलाने का सपना पाले बैठी थी। लेकिन, सोनिया के राज्यसभा नामांकन से अमित शाह के इस अरमान पर पानी फिर गया है।
वैसे, यह पहला मौका नहीं है, जब शाह सोनिया की घेरेबंदी की कोशिश कर रहे थे। पिछले चुनाव में भी उन्होंने सोनिया गांधी की देवरानी मेनका गांधी या भतीजे वरुण गांधी को उनके खिलाफ रायबरेली से चुनाव लड़ाने की भरपूर कोशिश की थी, पर दोनों के साफ इंकार कर देने से शाह का यह सपना पूरा नहीं हो सका था।
इसके बाद अमित शाह मन मसोस कर अगली बार यानी 2024 के लोकसभा चुनाव में सोनिया को रायबरेली में चित करने का सपना संजोने लगे थे। आज सोनिया के राजस्थान से राज्यसभा का नामांकन दाखिल करने से अमित शाह का यह सपना एक बार फिर से चकनाचूर हो गया है।
बात करें सोनिया के नामांकन की , तो आज 14 फरवरी को वह राज्यसभा के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए राजस्थान की राजधानी जयपुर पहुंचीं। उनके साथ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी थे। इसके अलावा कई दिग्गज कांग्रेस नेताओं और समर्थकों का भारी हुजूम भी उनके साथ दिखा।
सोनिया के नामांकन दाखिल करने के बाद राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री पद का त्याग करने वाली सोनिया गांधी को कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किए जाने का हार्दिक स्वागत है। उनका राजस्थान से दिल से जुड़ाव का रिश्ता है। जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे, तब सोनियाजी उनके साथ आदिवासी बाहुल्य जिलों के दौरे पर आईं थीं। राजस्थान में अकाल के समय प्रधानमंत्री के रूप में राजीव जी 3 दिन तक स्वयं गाड़ी ड्राइव कर 9 अकाल प्रभावित जिलों के दौरे पर आए थे, तब भी सोनिया जी उनके साथ रहीं।'

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