पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High court) ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्नी अगर अपने पति से शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करती है, तो वह क्रूरता माना जाएगा.
कोर्ट ने यह बात एक शिक्षक की ओर से अपनी पत्नी के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए कही, जो पिछले 10 साल से शारीरिक संबंध (Relation) बनाने से मना कर रही थी.
दरअसल, महिला अपने पति को पसंद नहीं करती थी इसलिए वह उसे मोटा कहकर दस साल से शारीरिक संबंध (Relation) बनाने से मना कर रही थी. इससे परेशान पति ने फैमिली कोर्ट (Family court) में याचिका दायर की.
फैमिली कोर्ट याचिका खारिज किए जाने के बाद पति ने हाई कोर्ट का रुख किया, जहां जस्टिस पी सैम कोशी व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए यह बड़ा फैसला सुनाया है.
बिलासपुर के विकास नगर में रहने वाले एन मिश्रा की शादी 25 नवंबर 2007 को हुई थी. शादी के कुछ माह तक उनकी पत्नी ससुराल में रही और उसके बाद वह अपने मायके चली गई.
पत्नी अब बेमेतरा में रहती है. मिश्रा ने पत्नी से तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में अर्जी दाखिल की, जिसमें उसने बताया कि पत्नी ने 2011 में पति व ससुराल वालों को बताए बिना ही बेमेतरा में शिक्षाकर्मी की नौकरी ज्वॉइन कर ली.
बाद में जब पति ने उससे घर आने के लिए कहा तो वह उलटा पति को ही बेमेतरा में रहने के लिए दवाब बनाने लगी. ऐसे में परेशान पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई थी.
फैमिली कोर्ट ने 13 दिसंबर 2017 को मिश्रा की अर्जी को खारिज कर दिया. इस फैसले के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की.
हाईकोर्ट सुनवाई के दौरान पत्नी की तरफ से जो-जो तर्क प्रस्तुत किए गए. उनके आधार पर कोर्ट ने पाया कि दंपती में साल 2010 से ही शारीरिक संबंध नहीं था.
पत्नी अपने पति को मोटा, भद्दा कहती थी और नापसंद करती थी, पति को जानकारी दिए बिना ही शिक्षाकर्मी की नौकरी ज्वॉइन कर ली थी, जिसमें अपने पति के बजाय मायके वालों को नॉमिनी बनाया था.
हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि पति या पत्नी के साथ शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता के बराबर है. क्योंकि किसी भी पति-पत्नी के जीवन के बीच शारीरिक संबंध विवाहित जीवन के स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है. इस मामले में पत्नी ने पति के साथ क्रूरता का व्यवहार किया है.
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