झूठे विज्ञापन मामले में रामदेव और बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट ने दिया अवमानना का नोटिस, हाजिर होकर देना होगा जवाब


पतंजलि आयुर्वेद के झूठे दावों वाले विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना का नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह बाद कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है। 


सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी योगगुरु रामदेव को नोटिस जारी कर कोर्ट में बुलाया था। कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर बालकृष्ण और योगगुरु रामदेव से जवाब मांगा था। 


इसके अलावा कोर्ट ने विज्ञापन प्रकाशित करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। दरअसल, इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका फाइल कर कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापन झूठा दावा करने वाले और भ्रामक हैं। इसमें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अर्थराइटिस, अस्थमा जैसे रोगों को जड़ से खत्म करने का दावा किया गया है।


पतंजलि आयुर्वेद ने कोर्ट को इस विज्ञापन को रोकने की अंडरटेकिंग दी थी और इसके बावजूद विज्ञापन छपवाया। ऐसे में जस्टिस  हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए रामदेव और एमडी आचार्य बालकृष्ण से जवाब मांगा है। 


इसके बावजूद पतंजलि की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने हाजिर होने का आदेश दे दिया और अवमानना का नोटिस भी थमा दिया। पतंजलि के विज्ञापनों में बाबा रामदेव की तस्वीर भी लगी थी। इसलिए कोर्ट ने उन्हें भी पार्टी बनाते हुए पूछा कि आखिर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों ना शुरू की जाए?

 

कोर्ट ने कहा कि कोर्ट में दिए गए अंडरटेकिंग को देखते हुए आचार्य रामदेव को बताना चाहिए कि आखिर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों ना शुरू की जाए। उन्होंने ड्रग्स ऐंड मैजिक रेमेडीज ऐक्ट 1954 का भी उल्लंघन किया है। 


पतंजलि की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि पतंजलि से बाबा रामदेव का कोई लेना देना नहीं है। कोर्ट को उनकी बात सुननी चाहिए। इसपर बेंच ने कहा, बाबा रामदेव ने हमारे आदेश के बाद भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उनको कारण बताओ नोटिस ही जारी किया गया है। उन्हें अपना जवाब देने दीजिए।


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